श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 30: सीताजी से वार्तालाप करने के विषय में हनुमान जी का विचार करना  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  5.30.24 
 
 
तं मां शाखा: प्रशाखाश्च स्कन्धांश्चोत्तमशाखिनाम्।
दृष्ट्वा च परिधावन्तं भवेयु: परिशङ्किता:॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  फिर वे सभी, मुझे विशाल वृक्षों की शाखाओं, उपशाखाओं और मोटी-मोटी टहनियों पर दौड़ते देखकर, भयभीत हो जाएँगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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