वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
»
सर्ग 30: सीताजी से वार्तालाप करने के विषय में हनुमान जी का विचार करना
»
श्लोक 24
श्लोक
5.30.24
तं मां शाखा: प्रशाखाश्च स्कन्धांश्चोत्तमशाखिनाम्।
दृष्ट्वा च परिधावन्तं भवेयु: परिशङ्किता:॥ २४॥
अनुवाद
play_arrowpause
फिर वे सभी, मुझे विशाल वृक्षों की शाखाओं, उपशाखाओं और मोटी-मोटी टहनियों पर दौड़ते देखकर, भयभीत हो जाएँगी।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.