नागों के आने-जाने से उस नगरी की रक्षा होती थी, इसलिए वह सुंदर भोगवती पुरी के समान सुरक्षित थी। आवश्यकता के अनुसार मेघ छाये रहते थे और बिजली कड़कती रहती थी, जिससे वह अमरावती पुरी के समान प्रतीत होती थी। ग्रहों और नक्षत्रों के सदृश विद्युत-दीपों से वह नगरी प्रकाशित थी और प्रचंड वायु की ध्वनि सदा सुनाई देती थी।