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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 24: सीताजी का राक्षसियों की बात मानने से इनकार कर देना तथा राक्षसियों का उन्हें मारने-काट ने की धमकी देना
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श्लोक 38-39h
श्लोक
5.24.38-39h
ततश्चण्डोदरी नाम राक्षसी क्रूरदर्शना॥ ३८॥
भ्रामयन्ती महच्छूलमिदं वचनमब्रवीत्।
अनुवाद
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अब क्रूर दृष्टि वाली चण्डोदरी नाम की राक्षसी की बारी आई। उसने बड़े त्रिशूल को भ्रमण कराते हुए कहा-।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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