श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 5: सुन्दर काण्ड  »  सर्ग 22: रावण का सीता को दो मास की अवधि देना, सीता का उसे फटकारना, फिर रावण का उन्हें धमकाना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  5.22.28 
 
 
तरुणादित्यवर्णाभ्यां कुण्डलाभ्यां विभूषित:।
रक्तपल्लवपुष्पाभ्यामशोकाभ्यामिवाचल:॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  तरुणादित्य के समान रंग वाले दो कुंडल उसके कानों को सुशोभित कर रहे थे, मानो लाल पत्तियों और फूलों से युक्त दो अशोक वृक्ष किसी पर्वत को सुशोभित कर रहे हों।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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