भीरु! मेरे साथ समुद्र-तटवर्ती उन काननों में विहार करो, जहाँ खिले हुए वृक्षों के समूह फैले हुए हैं और उन पर भ्रमर मँडरा रहे हैं। अपना शरीर सोने के निर्मल हारों से विभूषित करो और मेरे साथ आनंद लो।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये सुन्दरकाण्डे विंश: सर्ग:॥ २०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके सुन्दरकाण्डमें बीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ २०॥