वरुण: पाशहस्तश्च सोमादित्यौ तथैव च।
अश्विनौ च महात्मानौ मरुत: सर्व एव च॥ ६६॥
सिद्धिं सर्वाणि भूतानि भूतानां चैव य: प्रभु:।
दास्यन्ति मम ये चान्येऽप्यदृष्टा: पथि गोचरा:॥ ६७॥
अनुवाद
वरुण, सोम, आदित्य, महात्मा अश्विनी-कुमार, समस्त मरुद्गण, सम्पूर्ण भूत और भूतों के अधिपति, ये सभी देवता मुझे सिद्धि प्रदान करेंगे और मार्ग में दिखने वाले तथा अदृश्य रहने वाले अन्य देवता भी मेरी सिद्धि में सहायक होंगे।