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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 1: हनुमान् जी के द्वारा समुद्र का लङ्घन, मैनाक के द्वारा उनका स्वागत, सुरसा पर उनकी विजय तथा सिंहिका का वध,लंका की शोभा देखना
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श्लोक 40-41h
श्लोक
5.1.40-41h
नहि द्रक्ष्यामि यदि तां लंकायां जनकात्मजाम्॥ ४०॥
अनेनैव हि वेगेन गमिष्यामि सुरालयम्।
अनुवाद
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यदि मैं लंका में जनकनंदिनी सीता को नहीं देखूँगा तो इसी गति से मैं स्वर्गलोक में चला जाऊँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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