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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 5: सुन्दर काण्ड
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सर्ग 1: हनुमान् जी के द्वारा समुद्र का लङ्घन, मैनाक के द्वारा उनका स्वागत, सुरसा पर उनकी विजय तथा सिंहिका का वध,लंका की शोभा देखना
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श्लोक 39-40h
श्लोक
5.1.39-40h
यथा राघवनिर्मुक्त: शर: श्वसनविक्रम:॥ ३९॥
गच्छेत् तद्वद् गमिष्यामि लंकां रावणपालिताम्।
अनुवाद
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यथा रघुनाथजी द्वारा छोड़ा गया बाण वायु के समान वेग से चलता है, उसी प्रकार मैं रावण द्वारा शासित लंकापुरी में प्रवेश करूँगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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