श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 8: सुग्रीव का श्रीराम से अपना दुःख निवेदन करना और श्रीराम का उन्हें आश्वासन देते हुए दोनों भाइयों में वैर होने का कारण पूछना  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  4.8.38 
 
 
संक्षेपस्त्वेष मे राम किमुक्त्वा विस्तरं हि ते।
स मे ज्येष्ठो रिपुर्भ्राता वाली विश्रुतपौरुष:॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  रघुनन्दन! मैंने तो अपनी स्थिति संक्षेप में बता दी। तुम्हारे सामने विस्तार से कहने का क्या लाभ? वाली मेरा बड़ा भाई है, लेकिन इस समय वह मेरा शत्रु बन गया है। उसका पराक्रम सर्वत्र प्रसिद्ध है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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