श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 8: सुग्रीव का श्रीराम से अपना दुःख निवेदन करना और श्रीराम का उन्हें आश्वासन देते हुए दोनों भाइयों में वैर होने का कारण पूछना  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  4.8.30 
 
 
बाष्पवेगं तु सहसा नदीवेगमिवागतम्।
धारयामास धैर्येण सुग्रीवो रामसंनिधौ॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनंतर सुग्रीव ने बाढ़ की उमड़ी हुई नदी के वेग के समान अचानक बढ़े हुए आँसुओं के वेग को श्रीराम के सामने धैर्य के साथ रोक लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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