महद्भिरुच्छ्रितं शृङ्गैर्महेन्द्रं स महाबल:।
विचचार हरिश्रेष्ठो महेन्द्रसमविक्रम:॥ ४२॥
अनुवाद
महाबलशाली वानरश्रेष्ठ हनुमान, जिनका पराक्रम इंद्र के समान है, उस महेन्द्र पर्वत पर चढ़ गए, जो ऊँचे-ऊँचे शिखरों से भी ऊँचा प्रतीत होता है। वहाँ उन्होंने इधर-उधर टहलना शुरू कर दिया।