श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 67: हनुमान जी का समुद्र लाँघने के लिये उत्साह प्रकट करना, जाम्बवान् के द्वारा उनकी प्रशंसा तथा वेगपूर्वक छलाँग मारने के लिये हनुमान जी का महेन्द्र पर्वत पर चढ़ना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  4.67.19 
 
 
लतानां विविधं पुष्पं पादपानां च सर्वश:।
अनुयास्यति मामद्य प्लवमानं विहायसा॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  आज जब मैं आकाश में वेग से उड़ रहा था, तो अनेक प्रकार के फूलों वाली लताएँ और पेड़ मेरे साथ-साथ उड़ रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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