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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना
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श्लोक 5
श्लोक
4.65.5
ऋषभो वानरस्तत्र वानरांस्तानुवाच ह।
चत्वारिंशद् गमिष्यामि योजनानां न संशय:॥ ५॥
अनुवाद
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तदनंतर वानरों के प्रमुख ऋषभदेव ने उन वानरों से कहा, "मैं चालीस योजन तक चलूँगा, इसमें कोई संदेह नहीं है।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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