श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  4.65.33 
 
 
सोऽङ्गदेन तदा वीर: प्रत्युक्त: प्लवगर्षभ:।
जाम्बवानुत्तमं वाक्यं प्रोवाचेदं ततोऽङ्गदम्॥ ३३॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय जब अंगद जी ने ऐसा कहा, तो वीर वानरों में श्रेष्ठ जाम्बवान जी ने उनसे यह उत्तम बात कही।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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