वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना
»
श्लोक 3
श्लोक
4.65.3
आबभाषे गजस्तत्र प्लवेयं दशयोजनम्।
गवाक्षो योजनान्याह गमिष्यामीति विंशतिम्॥ ३॥
अनुवाद
play_arrowpause
गज ने कहा — ‘मैं दस योजन की छलाँग लगाकर पानी पार कर सकता हूँ।’ गवाक्ष बोला — ‘मैं बीस योजन तक तैर कर चला जाऊँगा।’
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.