श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना  »  श्लोक 29
 
 
श्लोक  4.65.29 
 
 
यदि नाहं गमिष्यामि नान्यो वानरपुङ्गव:।
पुन: खल्विदमस्माभि: कार्यं प्रायोपवेशनम्॥ २९॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि मैं नहीं जाऊँगा और कोई अन्य महान वानर भी जाने को तैयार नहीं होगा, तो निश्चित रूप से हमें उपवास करना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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