श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  4.65.28 
 
 
उक्तवाक्यं महाप्राज्ञं जाम्बवन्तं महाकपि:।
प्रत्युवाचोत्तरं वाक्यं वालिसूनुरथाङ्गद:॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  जब उस अत्यधिक बुद्धिमान् जाम्बवान ने उक्त कथन कहे, तब अत्यंत चतुर वानर बालि का पुत्र अंगद ने उन्हें इस प्रकार उत्तर दिया-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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