श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.65.16 
 
 
स इदानीमहं वृद्ध: प्लवने मन्दविक्रम:।
यौवने च तदासीन्मे बलमप्रतिमं परम्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  अभी तो मैं बूढ़ा हो गया हूँ, इसीलिए कूदने-फाँदने की मेरी ताकत बहुत कम हो गई है; किंतु जवानी में मेरे भीतर जो महान शक्ति थी, उसकी तुलना कहीं नहीं है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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