श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 65: जाम्बवान् और अङ्गद की बातचीत तथा जाम्बवान् का हनुमान्जी को प्रेरित करने के लिये उनके पास जाना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  4.65.10 
 
 
तेषां कथयतां तत्र सर्वांस्ताननुमान्य च।
ततो वृद्धतमस्तेषां जाम्बवान् प्रत्यभाषत॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  सब बन्दरों के कहने का सम्मान करते हुए सबसे बूढ़े ऋक्षराज जाम्बवान ने कहा-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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