उस समुद्र को कहीं तो तरंगों के अभाव में शांत देखकर यह लग रहा था जैसे वह सो गया हो। अन्यत्र जहाँ थोड़ी-थोड़ी लहरें उठ रही थीं, वहाँ वह क्रीडा करता हुआ प्रतीत होता था और दूसरे स्थलों में जहाँ बड़ी-बड़ी तरंगें उठती थीं, वहाँ पर्वतों की तरह जल की राशियाँ आवृत दिखाई देती थीं।