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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना
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श्लोक 3
श्लोक
4.64.3
अभिगम्य तु तं देशं ददृशुर्भीमविक्रमा:।
कृत्स्नं लोकस्य महत: प्रतिबिम्बमवस्थितम्॥ ३॥
अनुवाद
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भीषण शक्ति और वीरता वाले उन वानरों ने उस देश में पहुंचकर समुद्र को देखा, जो पूरी दुनिया की एक विशाल छवि के रूप में दिखाई दे रहा था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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