श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  4.64.19 
 
 
यदि कश्चित् समर्थो व: सागरप्लवने हरि:।
स ददात्विह न: शीघ्रं पुण्यामभयदक्षिणाम्॥ १९॥
 
 
अनुवाद
 
  यदि तुम वानरों में से कोई सागर पार करने में समर्थ हो तो वह शीघ्र ही हमें यहाँ परम पवित्र अभय दान प्रदान करे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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