श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.64.16 
 
 
को वीरो योजनशतं लङ्घयेत प्लवङ्गम:।
इमांश्च यूथपान् सर्वान् मोचयेत् को महाभयात्॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  कौन प्लवंगम (लंका तक समुद्र पर छलांग लगाने वाला वीर) सौ योजन (लगभग 1200 किलोमीटर) चौड़े समुद्र को पार कर पाएगा? और कौन इन सभी यूथपतियों (सैन्य नेताओं) को भारी डर से मुक्त कर पाएगा?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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