श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  4.64.15 
 
 
क इदानीं महातेजा लङ्घयिष्यति सागरम्।
क: करिष्यति सुग्रीवं सत्यसंधमरिंदमम्॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  हे सज्जनों! आप में से कौन सा महातेजस्वी वीर है जो इस समय समुद्र को लांघ जाएगा और शत्रुदमन सुग्रीव को सत्यनिष्ठ बनाएगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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