वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना
»
श्लोक 13
श्लोक
4.64.13
कोऽन्यस्तां वानरीं सेनां शक्त: स्तम्भयितुं भवेत् ।
अन्यत्र वालितनयादन्यत्र च हनूमत:॥ १३॥
अनुवाद
play_arrowpause
वालि पुत्र अंगद और पवन-पुत्र हनुमान के सिवाय कौन-सा दूसरा योद्धा उस वानर सेना को स्थिर रख सकता था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.