श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  4.64.13 
 
 
कोऽन्यस्तां वानरीं सेनां शक्त: स्तम्भयितुं भवेत् ।
अन्यत्र वालितनयादन्यत्र च हनूमत:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  वालि पुत्र अंगद और पवन-पुत्र हनुमान के सिवाय कौन-सा दूसरा योद्धा उस वानर सेना को स्थिर रख सकता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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