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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 64: समुद्र की विशालता देखकर विषाद में पड़े हुए वानरों को आश्वासन दे अङ्गद का उनसे पृथक्-पृथक् समुद्र-लङ्घन के लिये उनकी शक्ति पूछना
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श्लोक 12
श्लोक
4.64.12
सा वानराणां ध्वजिनी परिवार्याङ्गदं बभौ।
वासवं परिवार्येव मरुतां वाहिनी स्थिता॥ १२॥
अनुवाद
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उन दिनों अंगद को घेरे हुए बंदरों की सेना इंद्र को घेरे रहने वाली विशाल देवताओं की सेना की तरह शानदार दिखाई देती थी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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