तत्वदर्शी महर्षि ने कहा था, "मैं भी उन दोनों भाइयों, राम और लक्ष्मण को देखना चाहता हूँ; परंतु अधिक समय तक प्राणों को धारण करने की इच्छा नहीं है। अतः वह समय आने से पहले ही मैं प्राणों को त्याग दूंगा"।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे द्विषष्टितम: सर्ग: ॥ ६ २॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें बासठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ २॥