श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 62: निशाकर मुनि का सम्पाति को सान्त्वना देते हुए उन्हें भावी श्रीरामचन्द्रजी के कार्य में सहायता देने के लिये जीवित रहने का आदेश देना  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  4.62.14 
 
 
त्वयापि खलु तत् कार्यं तयोश्च नृपपुत्रयो:।
ब्राह्मणानां गुरूणां च मुनीनां वासवस्य च॥ १४॥
 
 
अनुवाद
 
  तुम भी उन दोनों राजकुमारों के उसी कार्य में सहायता करना। वह कार्य सिर्फ़ उनका ही नहीं, बल्कि समस्त ब्राह्मणों, गुरुजनों, मुनियों और देवराज इंद्र का भी है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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