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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 62: निशाकर मुनि का सम्पाति को सान्त्वना देते हुए उन्हें भावी श्रीरामचन्द्रजी के कार्य में सहायता देने के लिये जीवित रहने का आदेश देना
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श्लोक 11
श्लोक
4.62.11
एष्यन्ति प्रेषितास्तत्र रामदूता: प्लवङ्गमा:।
आख्येया राममहिषी त्वया तेभ्यो विहङ्गम॥ ११॥
अनुवाद
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सम्पाते! श्रीरामजी के भेजे हुए उनके दूत वानर यहाँ सीताजी का पता ढूँढ़ते हुए आयेंगे। उन्हें तुम श्रीरामचंद्र जी की पत्नी सीताजी के बारे में बताना।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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