राज्य से हट गया, भाई से बिछुड़ गया, साथ ही पंख और साहस भी खो बैठा। इसलिए मैं इस पर्वत की ऊँची चोटी से गिर कर सर्वथा मर जाने की इच्छा करता हूँ।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे एकषष्टितम: सर्ग: ॥ ६ १॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें इकसठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ १॥