श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 60: सम्पाति की आत्मकथा  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  4.60.21 
 
 
किं ते व्याधिसमुत्थानं पक्षयो: पतनं कथम्।
दण्डो वायं धृत: केन सर्वमाख्याहि पृच्छत:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  इस संसार में तुम्हें कैसा रोग लग गया है जिससे तुम्हारे दोनो पंख गिर गये हैं? क्या तुम्हें किसी ने दण्ड दिया है? मैं तुमसे जो भी प्रश्न पूछ रहा हूँ, उनका उत्तर तुम स्पष्ट रूप से दो।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्राणायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे षष्टितम: सर्ग: ॥ ६ ०॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें साठवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ६ ०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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