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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 15
श्लोक
4.60.15
तमृक्षा: सृमरा व्याघ्रा: सिंहा नानासरीसृपा:।
परिवार्योपगच्छन्ति दातारं प्राणिनो यथा॥ १५॥
अनुवाद
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सर्व ओर से कई भालू, हिरण, शेर, बाघ और विविध प्रकार के साँप उनको ऐसे घेरे हुए थे जैसे याचना करने वाले प्राणी किसी दाता को घेरे रहते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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