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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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श्लोक 12
श्लोक
4.60.12
तस्याश्रमपदाभ्याशे ववुर्वाता: सुगन्धिन:।
वृक्षो नापुष्पित: कश्चिदफलो वा न दृश्यते॥ १२॥
अनुवाद
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तब के बाद उनके आश्रम के आस-पास सुंदर सुगन्ध वाली वायुएँ प्रवाहित होती थीं। वहाँ ऐसा कोई भी वृक्ष नहीं था जिस पर या तो फल न हो या फूल न हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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