अब अधिक समय व्यतीत करने की आवश्यकता नहीं है। अपनी बुद्धि के द्वारा दृढ़ निश्चय करके सीता के दर्शन के लिए उद्योग करो, क्योंकि तुम जैसे बुद्धिमान लोग कार्यों की सिद्धि में विलंब नहीं करते हैं।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे एकोनषष्टितम: सर्ग:॥ ५९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें उनसठवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५९॥