श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 59: सम्पाति का अपने पुत्र सुपार्श्व के मुख से सुनी हुई सीता और रावण को देखने की घटना का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  4.59.27 
 
 
कामं खलु दशग्रीवस्तेजोबलसमन्वित:।
भवतां तु समर्थानां न किंचिदपि दुष्करम्॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  दशग्रीव रावण यद्यपि बल और तेज से परिपूर्ण है, परन्तु आप जैसे सामर्थ्यशाली वीरों के लिए उसे परास्त करना कठिन कार्य नहीं है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.