श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 59: सम्पाति का अपने पुत्र सुपार्श्व के मुख से सुनी हुई सीता और रावण को देखने की घटना का वृत्तान्त बताना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  4.59.16 
 
 
नहि सामोपपन्नानां प्रहर्ता विद्यते भुवि।
नीचेष्वपि जन: कश्चित् किमङ्ग बत मद्विध:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
 
  पिताजी! पृथ्वी पर नीच मनुष्यों में भी कोई ऐसा नहीं है, जो विनम्रतापूर्वक मीठे वचन बोलने वालों पर प्रहार करे फिर मैं-जैसा कुलीन पुरुष कैसे कर सकता है?।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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