श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 54: हनुमान जी का भेदनीति के द्वारा वानरों को अपने पक्ष में करके अङ्गद को अपने साथ चलने के लिये समझाना  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  4.54.1 
 
 
तथा ब्रुवति तारे तु ताराधिपतिवर्चसि।
अथ मेने हृतं राज्यं हनूमानङ्गदेन तत्॥ १॥
 
 
अनुवाद
 
  हाँ, जैसे तेजस्वी तारों का स्वामी चंद्रमा है वैसे ही अब अंगद ने राज्य हर लिया। (ऐसा कहते ही हनुमान जी ने यह मान लिया कि अब अंगद ने वह राज्य (जो अब तक सुग्रीव के अधिकार में था) हर लिया, अब वह राज्य अंगद का ही रहेगा)
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.