श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 52: तापसी स्वयंप्रभा के पूछने पर वानरों का उसे अपना वृत्तान्त बताना और उसके प्रभाव से गुफा के बाहर निकलकर समुद्रतट पर पहुँचना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  4.52.3 
 
 
तस्यास्तद् वचनं श्रुत्वा हनूमान् मारुतात्मज:।
आर्जवेन यथातत्त्वमाख्यातुमुपचक्रमे॥ ३॥
 
 
अनुवाद
 
  उनके इस कथन को सुनकर हनुमान जी सीधे सरलता के साथ सच बोलने लगे-
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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