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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 52: तापसी स्वयंप्रभा के पूछने पर वानरों का उसे अपना वृत्तान्त बताना और उसके प्रभाव से गुफा के बाहर निकलकर समुद्रतट पर पहुँचना
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श्लोक 29-30h
श्लोक
4.52.29-30h
वानरास्तु महात्मानो हस्तरुद्धमुखास्तदा॥ २९॥
निमेषान्तरमात्रेण बिलादुत्तारितास्तया।
अनुवाद
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तब वे महात्मा वानर हाथों से मुँह ढके हुए थे, जिसके कारण स्वयंप्रभा ने पलक झपकते ही उन्हें बिल से बाहर निकाल दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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