वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
»
सर्ग 52: तापसी स्वयंप्रभा के पूछने पर वानरों का उसे अपना वृत्तान्त बताना और उसके प्रभाव से गुफा के बाहर निकलकर समुद्रतट पर पहुँचना
»
श्लोक 12
श्लोक
4.52.12
अस्माद्धंसा जलक्लिन्ना: पक्षै: सलिलरेणुभि:।
कुररा: सारसाश्चैव निष्पतन्ति पतत्त्रिण:॥ १२॥
अनुवाद
play_arrowpause
कुछ देर बाद गुफा से हंस, कोयल और सारस जैसे पक्षी बाहर निकले, जिनके पंख पानी में भीग गए थे और उनमें कीचड़ लगा हुआ था।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.