श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 52: तापसी स्वयंप्रभा के पूछने पर वानरों का उसे अपना वृत्तान्त बताना और उसके प्रभाव से गुफा के बाहर निकलकर समुद्रतट पर पहुँचना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  4.52.10 
 
 
विवर्णवदना: सर्वे सर्वे ध्यानपरायणा:।
नाधिगच्छामहे पारं मग्नाश्चिन्तामहार्णवे॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  हम सबके चेहरे पीले पड़ गए हैं। हम सभी चिंता में डूब गए हैं। चिंता के समुद्र में डूबकर हम उससे बाहर नहीं निकल पा रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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