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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 49: अङ्गद और गन्धमादन के आश्वासन देने पर वानरों का पुनः उत्साह पूर्वक अन्वेषण-कार्य में प्रवृत्त होना
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श्लोक 8
श्लोक
4.49.8
अवश्यं कुर्वतां तस्य दृश्यते कर्मण: फलम्।
परं निर्वेदमागम्य नहि नोन्मीलनं क्षमम्॥ ८॥
अनुवाद
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कर्म में लगे रहने से निश्चित ही फल की प्राप्ति होती है, इसलिए अत्यधिक निराश होकर कर्म को छोड़ देना उचित नहीं है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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