श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 49: अङ्गद और गन्धमादन के आश्वासन देने पर वानरों का पुनः उत्साह पूर्वक अन्वेषण-कार्य में प्रवृत्त होना  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  4.49.22 
 
 
हनुमत्प्रमुखास्तावत् प्रस्थिता: प्लवगर्षभा:।
विन्ध्यमेवादित: कृत्वा विचेरुश्च समन्तत:॥ २२॥
 
 
अनुवाद
 
  हनुमान और अन्य श्रेष्ठ वानर सीता की खोज के लिए विन्ध्य पर्वत के चारों ओर घूमने लगे।
 
 
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे एकोनपञ्चाश: सर्ग: ॥ ४ ९॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें उनचासवाँ सर्ग पूरा हुआ ॥ ४ ९॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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