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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 47: पूर्व आदि तीन दिशाओं में गये हुए वानरों का निराश होकर लौट आना
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श्लोक 8
श्लोक
4.47.8
दिशमप्युत्तरां सर्वां विविच्य स महाकपि:।
आगत: सह सैन्येन भीत: शतबलिस्तदा॥ ८॥
अनुवाद
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उत्तर दिशा से लौटकर महाकपि शतबलि ने सेना सहित तत्काल किष्किन्धा की यात्रा की, क्योंकि वे बुद्धिमत्ता से आशंकित और भयभीत थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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