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श्लोक 4.46.24  |
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एवं मया तदा राजन् प्रत्यक्षमुपलक्षितम्।
पृथिवीमण्डलं सर्वं गुहामस्म्यागतस्तत:॥ २४॥ |
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अनुवाद |
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राजन्! मैंने उस समय अपने प्रत्यक्ष अनुभव से पृथ्वी के संपूर्ण भूमंडल को देखा था। उसके बाद मैं ऋष्यमूक की गुफा में चला गया था। |
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इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्ये किष्किन्धाकाण्डे षट्चत्वारिंश: सर्ग:॥ ४६॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके किष्किन्धाकाण्डमें छियालीसवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ४६॥ |
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