श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 45: विभिन्न दिशाओं में जाते हुए वानरों का सुग्रीव के समक्ष अपने उत्साहसूचक वचन सुनाना  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  4.45.9 
 
 
एवं संचोदिता: सर्वे राज्ञा वानरयूथपा:।
स्वां स्वां दिशमभिप्रेत्य त्वरिता: सम्प्रतस्थिरे॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  राजा की आज्ञा पाते ही समस्त वानर-युवतियाँ बड़ी उत्सुकता से अपने-अपने दिशा की ओर प्रस्थान कर गईं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.