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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड
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सर्ग 44: श्रीराम का हनुमान जी को अँगूठी देकर भेजना
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श्लोक 13
श्लोक
4.44.13
अनेन त्वां हरिश्रेष्ठ चिह्नेन जनकात्मजा।
मत्सकाशादनुप्राप्तमनुद्विग्नानुपश्यति॥ १३॥
अनुवाद
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उन्होंने अंगूठी देते हुए कहा- हे श्रेष्ठ बन्दर! इस चिह्न से जनकनंदिनी सीता को यह विश्वास हो जाएगा कि तुम मेरे पास से ही गए हो। इससे वह भय त्यागकर तुम्हारी ओर देख सकेगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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