श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 43: सुग्रीव का उत्तर दिशा के स्थानों का परिचय देते हुए शतबलि आदि वानरों को वहाँ भेजना  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  4.43.46 
 
 
सर्वर्तुसुखसेव्यानि फलन्त्यन्ये नगोत्तमा:।
महार्हमणिचित्राणि फलन्त्यन्ये नगोत्तमा:॥ ४६॥
 
 
अनुवाद
 
  अन्य उत्तम वृक्ष सभी ऋतुओं में सुखपूर्वक खाए जा सकने वाले स्वादिष्ट फल देते हैं। अन्य सुंदर वृक्ष बहुमूल्य रत्नों के समान अनोखे फल उत्पन्न करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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