श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 43: सुग्रीव का उत्तर दिशा के स्थानों का परिचय देते हुए शतबलि आदि वानरों को वहाँ भेजना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  4.43.39 
 
 
तत: काञ्चनपद्माभि: पद्मिनीभि: कृतोदका:।
नीलवैदूर्यपत्राढॺा नद्यस्तत्र सहस्रश:॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  उत्तर कुरुदेश में नीले वैदूर्यमणि के समान हरे-हरे कमलों के पत्तों से युक्त, हजारों नदियाँ बहती हैं। उन नदियों का जल सुवर्णमय कमलों से सुशोभित अनेक पुष्करिणियों के जल से मिलकर और भी सुंदर हो गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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