श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 4: किष्किंधा काण्ड  »  सर्ग 43: सुग्रीव का उत्तर दिशा के स्थानों का परिचय देते हुए शतबलि आदि वानरों को वहाँ भेजना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  4.43.35 
 
 
तत् सर: समतिक्रम्य नष्टचन्द्रदिवाकरम्।
अनक्षत्रगणं व्योम निष्पयोदमनादितम्॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  सरः अर्थात सरोवर को पार करने के पश्चात् आगे बढ़ने पर आकाश बिल्कुल खाली दिखाई देगा। वहाँ सूर्य, चंद्रमा और तारे दिखाई नहीं पड़ेंगे। वहाँ न तो बादलों का समूह दिखेगा और न ही उनकी गर्जना सुनाई पड़ेगी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.